सखी ये दोऊ राज दुलारे अवध पति प्यारे !!
जब रघु राज जनक पुर आये खुलि गई महल किवारे !
झुकि झुकि नारि झरोखन झाकति ,चितवन छवि पलक निसारे !!अवध !!१
राम लखन गलियन में डोलै बहु छवि कला पसारे !
क्रीट मुकुट मकरा कृत कुन्डल ,मुख कोटि चन्द्र उजियारे !!अवध !!२
चंचल चपल अलख छवि छाजै वाके नयन जुझारे !
कैसे वचिहैं नारि मिथिला की ,चितवनिया कतल करि डारे !!अवध !!३
फिर यहि गलियन देखो सखी तनी छवि भरिनयन निसारे !
बदरीजन दशरथ जी के लालन वे तो ले गये प्राण हमारे !!अवध !!४