ऐंगर (पास) बैठ जाओ
कछु कानै (कहना है) काम जनम भर रानै (रहेगा)
इत (यहां) की बात इतईं (यही) रै (रह) जैहे (जायेगी)
कैबे (कहने को) खां रै (रह) जैहे (जायेगी)
ऐसे हते (थे) फ़लाने (वे)
ऐँगर बैठ लेव कछु कानै काम जनम भर रानै
सबखाँ लागो रात जिअत भर जौ नईँ कबहुँ बढ़ानै
करिओ काम घरी भर रै केँ बिगर कछु नईँ जानै
ई धन्धन के बीच ईसुरी करत करत मर जानेँ
फाग गीत में है. शब्दों के अर्थ भी दिये हैं. पर आशय है कि ऐ मित्र बैठो. कुछ कहना है. काम तो जन्म भर रहेगा | हां की बात यहीं रह जायेगी. फिर यह बात कहने को शेष रहेगी कि फलां ऐसे थे |