जल भरन देव वृज राज साझ नक चानी !!
ननद गई अपने बालम घर सास गई मेहमानी !
कन्त हमार सार घर राजित ,देवरा जहाँ गाय वियानी !!साझ !!१
आज अकेल हमें रहना है न देवरानि जेठानी !
रान परोसिन रैन न जागति ,हम तरुणी नारि अकुलानी !!साझ !!२
यह तर नीर भरव हम मोहन न कुछ सुनव कहानी !
द्वार मझार केंवार खुले डर ,घर सुनै छाड़ी पयानी !!साझ !!३
परम चतुर वृज वाम श्याम के घुघट में वतलानी !
द्विज छोटकुन लखि के मन मोहन हँसि कहति भली हम जानी !!साझ !!४