लै गै जनक लली का चोराई दशानन आई !!
मृग मारन काहे तुम गयो वन राम लखन दोनों भाई !
भवन अकेलि रही सिया सुन्दरि ,धरि रूप यती गोहराई !!दशानन !!१
जनक लली लै भीख चली हैं रेखि नाघि जब आई !
हाथ पकरि लंका पति राजा हमका लै जात चोराई !!दशानन !! २
करत विलाप जगत की जननी ,रावण के संग जाई !
हाथ उठाय लखन के पुकारत ,देवर हमका लेहु छोड़ाई !!दशानन !! ३
देखी सैन भालु कपि केरी दोनों चीर गिराई !
तुलसी दास बलि आस चरन के ,हमका लै जात चोराई !!दशानन !!४