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जनवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

रातें बरस गओ पानी, की काय राजा तुमने न जानी

रातें बरस गओ पानी, की काय राजा तुमने न जानी  अटा जो भींजे अटारी भींजि -२  भींजि है अरे धुतिया पुरानी, की काय राजा तुमने न जानी रातें बरस गओ पानी, की काय राजा तुमने न जानी  बाग जो भींजे बग़ीचा भी भींजे-२  मालन अरे मालन फिरे उतरनी, की काय राजा तुमने न जानी रातें बरस गओ पानी, की काय राजा तुमने न जानी  कुआँ भी भर गए तालाब सोई भर गए-२  कहारन अरे कहारन फिर बौरानी, की काय राजा तुमने न जानी रातें बरस गओ पानी, की काय राजा तुमने न जानी  गैयाँ भींजि बछिया भींजि-२  नदियों में अरे नदियों में बढ़ गाओ पानी, की काय राजा तुमने न जानी रातें बरस गओ पानी, की काय राजा तुमने न जानी  नदिये भर गयी नरवा भर गए -२  गेलों की अरे गेलों की बन गई सानी, की काय राजा तुमने न जानी रातें बरस गओ पानी, की काय राजा तुमने न जानी  रातें बरस गओ पानी, की काय राजा तुमने न जानी 

देसी भजन : बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया ?

बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया, बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया । सत् भांमा रुक्मण के जैसी लूगाई, राधे के साथ कैसे जोड़ी बनाई, बोल कान्हा बोल.... बोल कान्हा बोल तू नादान कैसे हो गया, बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया, ब्याह जिसे लाया वो गूहाई तेरी रानी, बिना ब्याहे राधा कहाए महारानी, बोल कान्हा बोल.... बोल कान्हा बोल ये सम्मान कैसे हो गया, बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया, राणी-पटराणी सारी हाजिरी बजावै, राधे महारानी तुझपे रोब्ब जमावै, बोल कान्हा राधे का.... बोल कान्हा राधे का गुलाम कैसे हो गया, बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया, तस्वीर बिवियों की कोने में पड़ी है, जितने मंदिर राधे बगल में खड़ी है, बोल कान्हा बोल.... बोल कान्हा बोल ये विधान कैसे हो गया, बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया, राणी-महारानी का लेंता नहीं नाम है, डंके की चोट कहें राधा मेरी जान है, फिर भी भक्त तेरा.... फिर भी भक्त तेरा यें जहां कैसे हो गया, बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया, जिसने भी प्यार किया वो ही बदनाम है, प्रेमिका के साथ तेरी चार गुनी शान है, झूठा सारा वेद.... झूठा सारा ...

ऐंगर बैठ जाओ

ऐंगर (पास) बैठ जाओ कछु कानै (कहना है) काम जनम भर रानै (रहेगा) इत (यहां) की बात इतईं (यही) रै (रह) जैहे (जायेगी) कैबे (कहने को) खां रै (रह) जैहे (जायेगी) ऐसे हते (थे) फ़लाने (वे) ऐँगर बैठ लेव कछु कानै काम जनम भर रानै सबखाँ लागो रात जिअत भर जौ नईँ कबहुँ बढ़ानै करिओ काम घरी भर रै केँ बिगर कछु नईँ जानै ई धन्धन के बीच ईसुरी करत करत मर जानेँ फाग गीत में है. शब्दों के अर्थ भी दिये हैं. पर आशय है कि ऐ मित्र बैठो. कुछ कहना है. काम तो जन्म भर रहेगा | हां की बात यहीं रह जायेगी. फिर यह बात कहने को शेष रहेगी कि फलां ऐसे थे |

फाग गीत चौताल - यही अवसर लगहु सहाय महेश वारे !!

यही अवसर लगहु सहाय महेश वारे !! नहिं कुछ ज्ञान वुद्धि हमरे है नहि सत संग सहारे ! पिंगल कोष भाग्य नहिं जानत प्रभु एक महेश अधारे !! महेश !! १ नहिं हरि भजन पुकारि कहौं यह जानत है संसारे ! सब तजि आस करोँ तुम्हरी प्रभु तुम दीनन के हित कारे !! महेश !!२ तुम्हरे जोर फॉग हम गावत राखहु लाज हमारे ! नहिं तो हंसी होय यहि अवसर यह हसन योग प्रण धारे !! महेश !!३ हमरो पति तुम हाथ गजानन नहिं बूड़त हौं मज धारे !! सत्य देव द्विज आस करत अस नाम सुमंगल कारे !! महेश !!४

फाग गीत चौताल - सुमिरों शंकर शैलानी बड़े वर दानी !!

सुमिरों शंकर शैलानी बड़े वर दानी !! डूडा बैल ताहि पर आसन साथे सती  भवानी ! मुंड मॉल गले माहि विराजत नागिन उर  में लपटानी !!बड़े !!१  भाल में भस्म चन्द्रमा शोभित शीश गंग लहरानी ! गेरू रंग अंग पटराजित जाके तीनों नयन जगजानी !!बड़े !!२  चूर धतूर गरल लै घोटत खात भांग शिवदानी ! डमरू गाल बजावत आवत गौरा लखि रूप लोभानी !!बड़े !!३  सव देवन में देव बड़े हैं महादेव सुखदानी ! सिव प्रसाद चरण रज चाहत सुनि लीजै गरीब की वानी !!बड़े !!४

फाग गीत चौताल - सखी ये दोऊ राज दुलारे अवध पति प्यारे !!

सखी ये दोऊ राज दुलारे अवध पति प्यारे !! जब रघु राज जनक पुर आये खुलि गई महल किवारे ! झुकि झुकि नारि झरोखन झाकति ,चितवन छवि पलक निसारे !!अवध !!१  राम लखन गलियन में डोलै बहु छवि कला पसारे ! क्रीट मुकुट मकरा कृत कुन्डल ,मुख कोटि चन्द्र उजियारे !!अवध !!२  चंचल चपल अलख छवि छाजै वाके नयन जुझारे ! कैसे वचिहैं नारि मिथिला की ,चितवनिया कतल करि डारे !!अवध !!३  फिर यहि गलियन देखो सखी तनी छवि भरिनयन निसारे ! बदरीजन दशरथ जी के लालन वे तो ले गये प्राण हमारे !!अवध !!४

फाग गीत चौताल - मोरी भरि दे गगरिया हो श्याम कहति वृज नारी !!

मोरी भरि दे गगरिया हो श्याम कहति वृज नारी !! हमसे चढ़ा जात नहिं मोहन यमुना ऊंची करारी ! पाव धरत हमरो जिय लरजत ,दूजे पाव में पायल भारी !!कहति !!१  गागर भरत करत रस बातें मद नर ती अनु हारी ! भरि भरि घयल धरत सिर ऊपर ,दूजे यौवन मलत विहारी !!कहति !!२  तब सकुचाय कहति वृज वनिता प्रभु जी की ओर निहारी ! हमरे तुम्हरे कौन परस पर ,काहे रोको कान्हा डगर हमारी !!कहति !!३  तुम तो ढोता नन्द बबा के हम वृषा भान दुलारी ! सूर श्याम से कहति ग्वालनी ,कान्हा तुम जीतो हम हारी !!कहति !!४

फाग गीत चौताल - गोरी राधे कै नयन रतनारे कजर सोहै कारे !!

गोरी राधे कै नयन रतनारे कजर सोहै कारे !!  एक मगन हम माँगी ला गोरिया उपजै अंग तुम्हारे ! हम तो मांगी दूनो छतिकै जोवनवा,दिन चारी कै दै देव उधारे !!कजर !!१   अच्छा मगन मागेव मन मोहन राखो मान तुम्हारे !   यह दोनों योवन मोरे हरि कै खेलौना ,यह तो तुमहू से अधिक पियारे !!कजर !!२  एक फूल फूलै आधी रतिया फूल रहै कचनारे ! लटका जोवन कछु काम न आवे ,उनका कोऊ नहि पूछै उधारे !!कजर !!३  तुम तो ढोता नन्द बबा के हम वृषा भान दुलारी ! दृग हरि चरन सरन सत गुरु के ,उनके वेनी सोहै माथ लिलारे !!कजर !!४

फाग गीत चौताल - धनि धनि हो सिया राउर भाग हमारी राम वर पाये !!

धनि धनि हो सिया राउर भाग हमारी राम वर पाये !! लिखी चिठिया नारद मुनि भेजे विसवामित्र पठाये ! साजि वराति चले राजा दशरथ ,सब अवध  पुरी से चलि आये !!राम!!१  आय वरात जनक पुर उतरी जाजिम झारि विछाये ! हरषि उठे दशरथ कुल नन्दन ,जह मालिन मौर बनाये !!राम !!२  वृन्दावन से वांस मंगाये आँगन माड़व छवाये ! सुवरन कलश धरा वेदी पर ,जँह माणिक दीप जलाये !!राम !!३  भये विवाह देव सब हरषे सखिये मंगल गाये ! तुलसीदास बलि आस चरन के जहँ दशरथ दर्व लुटाये !!राम !!४

फाग गीत चौताल - हमरे उर ऊपर हाथ धरो जिनि प्यारे !!

हमरे उर ऊपर हाथ धरो जिनि प्यारे !! काल्हि करार कियो सेजिया पर झुलनी वनी सकारे ! सो विसराय दिहो तुम बालम,अब नाहक हाथ पसारे !!धरो !!१  कंठ हार हुवेल विजायठ भूषन धरो लिलारे ! यह गहना हमका नहिं भावत इत से उठि जाव दुवारे !धरो !!२  यह जोवना हम बड़े जतन से पाला प्राण पियारे ! सो तुम्हें मलत दरद नहिं आवत ,मोरे कोमल अंग विगारे !धरो !!३ फरक रहो गले वाह न डारो न छुवो वदन हमारे ! द्विज छोटकुन झुलनी विन बालम ,मुख चूमे कौन प्रकारे !धरो !!४

फाग गीत चौताल - जल भरन देव वृज राज साझ नक चानी !!

जल भरन देव वृज राज साझ नक चानी !! ननद गई अपने बालम घर सास गई मेहमानी ! कन्त हमार सार घर राजित ,देवरा जहाँ गाय वियानी !!साझ !!१ आज अकेल हमें रहना है न देवरानि जेठानी ! रान परोसिन रैन न जागति ,हम तरुणी नारि अकुलानी !!साझ !!२  यह तर नीर भरव हम मोहन न कुछ सुनव कहानी ! द्वार मझार केंवार खुले डर ,घर सुनै छाड़ी पयानी !!साझ !!३  परम चतुर वृज वाम श्याम के घुघट में वतलानी ! द्विज छोटकुन लखि के मन मोहन हँसि कहति भली हम जानी !!साझ !!४

फाग गीत चौताल - फागुन बीत जात नहिं आये नन्द लाला !

फागुन  बीत जात नहिं आये नन्द लाला ! प्रेम बढ़ाय फसाय मिलो मन विहँसि मोहनी डाला !! नहिं विसरत वह सुरति संवलिया ,हरकत ऊर वन माला !!नहिं !!१ मिलि हो वेग चलत को वेरिया कहि गये वैन रसाला ! तलिफ तलिफ जिय जात गयो ,परी वेदरदी से पाला !!नहिं !!२  चहुँ दिशि घूम धाम होरी की सुनत लगत जस भाला ! अब कइसे जिय राखे दइया ,विरहिन वृज की वाला !!नहिं !!३  बनत न और उपाय हाय अब पीजै विष की प्याला ! रंगपाल सुधि लेत न अजहुँ ,निठुर मुरलिया वाला !!नहिं !!४

फाग गीत चौताल -लै गै जनक लली का चोराई दशानन आई !

लै गै जनक लली का चोराई दशानन आई !! मृग मारन काहे तुम गयो वन राम लखन दोनों भाई ! भवन अकेलि रही सिया सुन्दरि ,धरि रूप  यती गोहराई !!दशानन !!१  जनक लली लै भीख चली हैं रेखि नाघि जब आई ! हाथ पकरि लंका पति राजा हमका लै जात चोराई !!दशानन !! २  करत विलाप जगत की जननी ,रावण के संग जाई ! हाथ उठाय लखन के पुकारत ,देवर हमका लेहु छोड़ाई  !!दशानन !! ३  देखी सैन भालु कपि केरी दोनों चीर गिराई ! तुलसी दास बलि आस चरन के ,हमका लै जात चोराई  !!दशानन !!४