रातें बरस गओ पानी, की काय राजा तुमने न जानी अटा जो भींजे अटारी भींजि -२ भींजि है अरे धुतिया पुरानी, की काय राजा तुमने न जानी रातें बरस गओ पानी, की काय राजा तुमने न जानी बाग जो भींजे बग़ीचा भी भींजे-२ मालन अरे मालन फिरे उतरनी, की काय राजा तुमने न जानी रातें बरस गओ पानी, की काय राजा तुमने न जानी कुआँ भी भर गए तालाब सोई भर गए-२ कहारन अरे कहारन फिर बौरानी, की काय राजा तुमने न जानी रातें बरस गओ पानी, की काय राजा तुमने न जानी गैयाँ भींजि बछिया भींजि-२ नदियों में अरे नदियों में बढ़ गाओ पानी, की काय राजा तुमने न जानी रातें बरस गओ पानी, की काय राजा तुमने न जानी नदिये भर गयी नरवा भर गए -२ गेलों की अरे गेलों की बन गई सानी, की काय राजा तुमने न जानी रातें बरस गओ पानी, की काय राजा तुमने न जानी रातें बरस गओ पानी, की काय राजा तुमने न जानी
भदावर के लोकगीतों में चंबल की माटी की सौंधी-सौंधी गंध महकती है। जन मानस ने इन गीतों को गाते-गाते विविध रूप प्रदान किए हैं। लाखों कंठों ने गा-गा कर और लाखों लोगों ने मुग्ध होकर सुन-सुन कर इन गीतों को परम शक्तिशाली और हृदयस्पर्शी बना दिया है। लोकगीतों में धरती गाती है, पर्वत गाते हैं, नदियां गाती हैं, फसलें गाती हैं होली के भजन लिरिक्स, होली के रसिया लिरिक्स, होली गीत लिरिक्स इन हिंदी, होली लोक गीत इन हिंदी लिरिक्स, होली गीत लिरिक्स, लिरिक्स होली के भजन, लिरिक्स होली भजन, होली भजन डायरी,