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महाभारत फाग - कर्ण की प्रतिज्ञा

(महाभारत युद्ध में हार हो रही थी, दुर्योधन को दुखी देख कर्ण ने प्रतिज्ञा ली )


मारूँ हो, रण में पारथ को मारूँ।


अटल प्रतिज्ञा भूप हमारी, चिंता मति करों मन में।  

सुबह होत पारथ को मारूँ, जा करके रण खेतन में। 

सोई भईया रे ! मार मार पाँडव दल को। 

काट करब सी डारू हो, रण में पारथ को मारूँ।


मारूँ हो, रण में पारथ को मारूँ।


जो इतनो न करू विरन, तो सूर्य पुत्र नहि कहलाऊं। 

अटल प्रतिज्ञा भूप हमारी, ज़िन्दा मुख ना दिखलाऊं। 

सोई भईया रे ! पाँच वाण गुरू परुषराम के। 

अपने कर में धारूँ हो, रण में पारथ को मारूँ।


मारूँ हो, रण में पारथ को मारूँ।


खाली वाण एक ना जावेँ, मेरे गुरू की शक्ति हैं। 

विकट मार कौ झेले उनकी कौन शूर की हस्ति है। 

सोई भईया रे ! शल्य  वीर बने सारथि। 

कारज तेरो तारूँ हो, रण में पारथ को मारूँ।


मारूँ हो, रण में पारथ को मारूँ।


खुरपति को विश्वाश आये गाओ, मन की मिटी गिलानी है। 

पारथ मरे काम बन जावै, खुशी भओ अभिमानी है।  

सोई भईया रे ! खेतपाल सिंह कहे सभा में। 

ध्यान प्रभु को धारू हो, रण में पारथ को मारूँ।


मारूँ हो, रण में पारथ को मारूँ।


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