मनाऊँ हो, हम प्रथम गणेश मनाऊँ।
गौरी पुत्र गणेश सदा तेरे, चरनन शीश नवाता हूँ।
सब देवों में देव बड़े हो, प्रथम ही तुम्हें मनाता हूँ।
सोई भईया रे ! आज सलामी गढ़पति प्यारे।
प्यारे ही गुण गाऊँ हो, हम प्रथम गणेश मनाऊँ।
मनाऊँ हो, हम प्रथम गणेश मनाऊँ।
लंबोदर गजबदन विनायक गणपति नाम तुम्हारे हैं।
टेर सुनो वरदायक स्वामी, हम आधीन तुम्हारे हैं।
सोई भईया रे ! सदा भरोसो हमको स्वामी।
बार बार सिर नाऊँ हो, हम प्रथम गणेश मनाऊँ।
मनाऊँ हो, हम प्रथम गणेश मनाऊँ।
एकदन्त तुम दयावन्त दीनों की विपदा टारि है।
माथे पर सिंदूर विराजे, मूसे की सवारी है।
सोई भईया रे ! वनफूल व धुप चढ़ाते।
आरती दीप जलाऊँ हो, हम प्रथम गणेश मनाऊँ।
मनाऊँ हो, हम प्रथम गणेश मनाऊँ।
फल-मेवा लौंग-सुपारी गणपति तुम्हें सुहाते हैं।
सेवा सदा संतजन करते लडुअन भोग लगते हैं।
सोई भईया रे ! खेतपाल सिंह आज सभा में।
सबको शीश नावऊँ हो, हम प्रथम गणेश मनाऊँ।
मनाऊँ हो, हम प्रथम गणेश मनाऊँ।