बजरंगी खेल रहे होली बजरंगी
रंग धोर दरबार मे डारे हाथ अबीर लयो रोरी राम लखन को तिलक लगा रये सीता के सनमुख कर बरजोरी लखन राम की लाये पिचकारी भक्ति के रस की भेग धोरी पीकर भंग हुआ मतवाला राम चरण से बांधी डोरी
हमरे उर ऊपर हाथ धरो जिनि प्यारे !! काल्हि करार कियो सेजिया पर झुलनी वनी सकारे ! सो विसराय दिहो तुम बालम,अब नाहक हाथ पसारे !!धरो !!१ कंठ हार हुवेल विजायठ भूषन धरो लिलारे ! यह गहना हमका नहिं भावत इत से उठि जाव दुवारे !धरो !!२ यह जोवना हम बड़े जतन से पाला प्राण पियारे ! सो तुम्हें मलत दरद नहिं आवत ,मोरे कोमल अंग विगारे !धरो !!३ फरक रहो गले वाह न डारो न छुवो वदन हमारे ! द्विज छोटकुन झुलनी विन बालम ,मुख चूमे कौन प्रकारे !धरो !!४