महाभारत आदि पर्व : होली फाग गीत
टेक - भए तो शान्तनु नृप मगन भऐ है।
१ - सुरति देखि गंगा की मन में नूप हरसाते है।
शील सुभाव सेवा सदगुण से अति आन्द मनाते है।
तो० - रहते साथ साथ गंगा के अब का दिन बीत गए हैं।
२- जैसे ही पुत्र होय गंगा के गंगा ने जल में बनाए है।
इसी तरह गंगा जी ने सात पुत्र उपजाऐ है ।
तो०- ऐसो हाल देखो राजाने अब मन में सोच छऐ है।
३- पुत्र आठमा भयो गंगा के गंगा ने खुशी मनाई है।
ले के पुत्र चलि दई गंगा राजे उदाशी छाई है।
तो०- शिबई पुत्र मारि दऐ तुम्हें अब क्रोधित भूप कहें ।।
४- गंगा ने कहो पुत्र लेऊ राजा तुहें छोड़ि हम जाय रही।
शर्ति हमारी पूरी न कीनी तुम्हें पुत्र सीपय रही
तो०- आठवा पुत्र देवब्रत नामों अब मुकट ने गाए कहें है ।