फागुन में गाए जाने वाले गीतों फाग नाम से जाने जाते है इसमें लोगों की मंडली होती है जिनमें एक फाग गाता है और बाकी कोरस देते हैं। आज की आपाधापी में फाग गीत सिर्फ होली के समय ही गाये जाते हैं कहाँ गए वो दिन जब पूरे फागुन माह घर-घर ढोल की थाप सुनाई पडती थी ऐसा लगता था कि लोग पगला हो गये हैं "फागुन में बाबा देवर लागे -फागुन में " !
आज .न वो गाने वाले रहे और न ही उनकी मंडली एक पूरी पीढी इन लोक-गीतों से अनजान हो गई है इन लोकगीतों के रस से वंचित है वह आज कल फागुनी गीतों के नाम पर परोसे जाने वाले फूहड़ और अश्लील गीतों में उलझती जा रही है ! #भदावरी #फाग गीत झांझ, मंजीरों, नगाड़ों आदि के ताल-धमाल के साथ फाग गाये जाते थे।
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सरोखीपुरा गांव की #फाग.
रिकार्डेड : जगदेव सिंह भदौरिया
दिनाँक : 21 मार्च 2019
स्थान : #सरोखीपुरा, बाह आगरा