गुरु चरण कमल बलिहारि रे, मेरे मन की दुविधा टारि रे, गुरु चरण कमल बलिहारी रे। भव सागर में नीर अपारा, डूब रहा नहीं मिले किनारा, पल में लिया उबारी रे, गुरु चरण कमल बलिहारि रे, मेरे मन की दुविधा टारि रे, गुरु चरण कमल बलिहारी रे।। काम क्रोध मद लोभ लुटेरे, जनम जनम के बैरी मेरे, सबको दीन्हा मारी रे, गुरु चरण कमल बलिहारि रे, मेरे मन की दुविधा टारि रे, गुरु चरण कमल बलिहारी रे।। भेद भाव सब दूर कराया, पूरण ब्रम्ह एक दर्शाया, घट घट ज्योति निहारी रे, गुरु चरण कमल बलिहारि रे, मेरे मन की दुविधा टारि रे, गुरु चरण कमल बलिहारी रे।। जोग जुगत गुरुदेव बतलाई, ब्रम्हानंद शांति मन आई, मानुष देह सुधारी रे, गुरु चरण कमल बलिहारि रे, मेरे मन की दुविधा टारि रे, गुरु चरण कमल बलिहारी रे।। गुरु चरण कमल बलिहारी रे, मेरे मन की दुविधा टारि रे, गुरु चरण कमल बलिहारी रे।। शिक्षक दिवस सितम्बर को है। उपहार के रूप में आप का अपने शिक्षक का सम्मान करना उचित है। अक्सर सबसे अच्छा उपहार एक हस्त लिखित धन्यवाद नोट होता है , यदि आप चाहें तो थोड़ा पैसा खर्च करना भी ठीक है। आप भी अपने शिक्षक को उपहार भेज सकते हैं। Buy Gift for you...
भदावर के लोकगीतों में चंबल की माटी की सौंधी-सौंधी गंध महकती है। जन मानस ने इन गीतों को गाते-गाते विविध रूप प्रदान किए हैं। लाखों कंठों ने गा-गा कर और लाखों लोगों ने मुग्ध होकर सुन-सुन कर इन गीतों को परम शक्तिशाली और हृदयस्पर्शी बना दिया है। लोकगीतों में धरती गाती है, पर्वत गाते हैं, नदियां गाती हैं, फसलें गाती हैं होली के भजन लिरिक्स, होली के रसिया लिरिक्स, होली गीत लिरिक्स इन हिंदी, होली लोक गीत इन हिंदी लिरिक्स, होली गीत लिरिक्स, लिरिक्स होली के भजन, लिरिक्स होली भजन, होली भजन डायरी,