मतवारि हो हे गई नारि मतवारि मतवारि हो हे गई नारि मतवारि होत प्रदर्शन रोज देश में , नारि बढ़ें अंगरी है मोहे प्रगति कछु न दिखत , फैशन की भरमारि है अंग - अंग खुल रहे देह के , अब नीचे सरकत सारि मतवारि हो हे गई नारि मतवारि मतवारि हो हे गई नारि मतवारि कोई घरे करे कछु काम काज न , नेतागिरि भारि है कोई बालक बिलख रहे खटिंयन पै , आया ही महतारीं है कोई इहाँ - उहाँ डोले गलियन मैं , अब बढ़ी वासना भारि मतवारि हो हे गई नारि मतवारि मतवारि हो हे गई नारि मतवारि कोई गर्भपात की करि छूट , संसद ने नीति बिगारी है कोई वैश्यवृति को वैद्य करो , अब ये आवाज़ निकारि है कोई कैसे होएँगी सती देश में , अब यही सोच मोहे भारि मतवारि हो हे गई नारि मतवारि मतवारि हो हे गई नारि मतवारि कोई जितनी छूट मिली तिरियन को , उतनो ही व्यवचारा है कोई कहें यदुवीर कह गए तुलसी , ...
भदावर के लोकगीतों में चंबल की माटी की सौंधी-सौंधी गंध महकती है। जन मानस ने इन गीतों को गाते-गाते विविध रूप प्रदान किए हैं। लाखों कंठों ने गा-गा कर और लाखों लोगों ने मुग्ध होकर सुन-सुन कर इन गीतों को परम शक्तिशाली और हृदयस्पर्शी बना दिया है। लोकगीतों में धरती गाती है, पर्वत गाते हैं, नदियां गाती हैं, फसलें गाती हैं होली के भजन लिरिक्स, होली के रसिया लिरिक्स, होली गीत लिरिक्स इन हिंदी, होली लोक गीत इन हिंदी लिरिक्स, होली गीत लिरिक्स, लिरिक्स होली के भजन, लिरिक्स होली भजन, होली भजन डायरी,