साधो यह तन ठाठ तम्बूरे का। खोज करो इन घर कारे यह तन ठाठ तम्बूरे का।। पाँच तत्व से बना तम्बूरा तार लगा नव तूरे का।। खैचत तार मरोरत खूँटी निकसत राग हजूरे का।। टूट गया तार बिखर गई खूँटी हो गया धूरम धूरे का।। इस देह का गर्व न कीजे उड़ गया हंस तम्बूरे का।। कहत कबीर सुनो भाई साधो अगम पंथ कोई सूरे का।। Subscribe to our Youtube channel # FaagLok
भदावर के लोकगीतों में चंबल की माटी की सौंधी-सौंधी गंध महकती है। जन मानस ने इन गीतों को गाते-गाते विविध रूप प्रदान किए हैं। लाखों कंठों ने गा-गा कर और लाखों लोगों ने मुग्ध होकर सुन-सुन कर इन गीतों को परम शक्तिशाली और हृदयस्पर्शी बना दिया है। लोकगीतों में धरती गाती है, पर्वत गाते हैं, नदियां गाती हैं, फसलें गाती हैं होली के भजन लिरिक्स, होली के रसिया लिरिक्स, होली गीत लिरिक्स इन हिंदी, होली लोक गीत इन हिंदी लिरिक्स, होली गीत लिरिक्स, लिरिक्स होली के भजन, लिरिक्स होली भजन, होली भजन डायरी,