बजरंगी खेल रहे होली बजरंगी रंग धोर दरबार मे डारे हाथ अबीर लयो रोरी राम लखन को तिलक लगा रये सीता के सनमुख कर बरजोरी लखन राम की लाये पिचकारी भक्ति के रस की भेग धोरी पीकर भंग हुआ मतवाला राम चरण से बांधी डोरी
भदावर के लोकगीतों में चंबल की माटी की सौंधी-सौंधी गंध महकती है। जन मानस ने इन गीतों को गाते-गाते विविध रूप प्रदान किए हैं। लाखों कंठों ने गा-गा कर और लाखों लोगों ने मुग्ध होकर सुन-सुन कर इन गीतों को परम शक्तिशाली और हृदयस्पर्शी बना दिया है। लोकगीतों में धरती गाती है, पर्वत गाते हैं, नदियां गाती हैं, फसलें गाती हैं होली के भजन लिरिक्स, होली के रसिया लिरिक्स, होली गीत लिरिक्स इन हिंदी, होली लोक गीत इन हिंदी लिरिक्स, होली गीत लिरिक्स, लिरिक्स होली के भजन, लिरिक्स होली भजन, होली भजन डायरी,