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होली फाग : शिव शंकर दीनदयाला, महा वरदानी

शिव शंकर दीनदयाला, महा वरदानी  । । अंग विभूति लिए मृगछाला, जटा गंगा उर्जझानी  । माथे उनके तिलक चंद्रमा हो  । जाके तीन नयन जग जानी, महा वरदानी  । । वाहन बैल त्रिशूल विराजत, कर नागिन लपटानी  । भाँग धतूर वेल की पाती हो  । भोला और जहर विष सानी, महा वरदानी  । । शवेत वसन गर मुंडन माला, संग में गौरी भवानी  । लिंग पूजा वर्त डमरू बजावत  । तहाँ गावत बहु विधि बानी, महा वरदानी  । । महा देव देवन के राजा, और गुनन की खानी  । तुलसीदास चरनन पर मोहित  । तहाँ गाल बजावै सुरतानी, महा वरदानी  । ।

होली फाग : चरन सरोज तिहारे,अमंगल हारे

चरन सरोज तिहारे,अमंगल हारे।। अरे हे दशरथ के सुवन दयानिधि,दीनबन्धु हितकारे। कर धनु-सर सिर मुकुट बिराजत । कलंगी बहुभाँति सँवारे, अमंगल हारे।। अरे कमल-नयन मुख-बयन सुधा-सम, केसर तिलक लिलारे। कंठा-कंठ माल-मनि सोभित । श्रुति-कुण्डल की द्युति न्यारे, अमंगल हारे। अरे कल्प बिरिछ तर कनक सिंघासन, तेहि पर आसन डारे। बाम भाग सीता सुठि सोभित । करिके नव-सात सिंगारे, अमंगल हारे।। अरे भरत लखन रिपुदमन खडे़ धरि,चँवर छत्र तरवारे। द्विज छोटकुन पंखा भल फेरत । मारुत-सुत प्रान अधारे,अमंगल हारे।।

सरोखीपुरा फाग - कैप्टन प्रह्लाद यादव

फागुन में गाए जाने वाले गीतों फाग नाम से जाने जाते है इसमें लोगों की मंडली होती है जिनमें एक फाग गाता है और बाकी कोरस देते हैं। आज की आपाधापी में फाग गीत सिर्फ होली के समय ही गाये जाते हैं कहाँ गए वो दिन जब पूरे फागुन माह घर-घर ढोल की थाप सुनाई पडती थी ऐसा लगता था कि लोग पगला हो गये हैं "फागुन में बाबा देवर लागे -फागुन में " ! आज .न वो गाने वाले रहे और न ही उनकी मंडली एक पूरी पीढी इन लोक-गीतों से अनजान हो गई है इन लोकगीतों के रस से वंचित है वह आज कल फागुनी गीतों के नाम पर परोसे जाने वाले फूहड़ और अश्लील गीतों में उलझती जा रही है ! #भदावरी #फाग गीत झांझ, मंजीरों, नगाड़ों आदि के ताल-धमाल के साथ फाग गाये जाते थे। आप के पसंद की और वीडियो के लिए वीडियो में लाल बटन को दबा कर "= SUBSCRIBE =" कर ले ! सरोखीपुरा गांव की #फाग . रिकार्डेड : जगदेव सिंह भदौरिया दिनाँक : 21 मार्च 2019 स्थान : #सरोखीपुरा , बाह आगरा