शिव शंकर दीनदयाला, महा वरदानी । । अंग विभूति लिए मृगछाला, जटा गंगा उर्जझानी । माथे उनके तिलक चंद्रमा हो । जाके तीन नयन जग जानी, महा वरदानी । । वाहन बैल त्रिशूल विराजत, कर नागिन लपटानी । भाँग धतूर वेल की पाती हो । भोला और जहर विष सानी, महा वरदानी । । शवेत वसन गर मुंडन माला, संग में गौरी भवानी । लिंग पूजा वर्त डमरू बजावत । तहाँ गावत बहु विधि बानी, महा वरदानी । । महा देव देवन के राजा, और गुनन की खानी । तुलसीदास चरनन पर मोहित । तहाँ गाल बजावै सुरतानी, महा वरदानी । ।
भदावर के लोकगीतों में चंबल की माटी की सौंधी-सौंधी गंध महकती है। जन मानस ने इन गीतों को गाते-गाते विविध रूप प्रदान किए हैं। लाखों कंठों ने गा-गा कर और लाखों लोगों ने मुग्ध होकर सुन-सुन कर इन गीतों को परम शक्तिशाली और हृदयस्पर्शी बना दिया है। लोकगीतों में धरती गाती है, पर्वत गाते हैं, नदियां गाती हैं, फसलें गाती हैं होली के भजन लिरिक्स, होली के रसिया लिरिक्स, होली गीत लिरिक्स इन हिंदी, होली लोक गीत इन हिंदी लिरिक्स, होली गीत लिरिक्स, लिरिक्स होली के भजन, लिरिक्स होली भजन, होली भजन डायरी,