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फ़रवरी, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

होली भजन : मैंने सब कारे आजमाए !

ऊधो मैंने सब कारे आजमाए। कारे केस जतन सों राखे, इतर फुलेल लगाए, वे कारे नहीं भए आपने, श्वेत रूप दरसाए ॥1॥ ऊधो मैंने सब कारे आजमाए। कोयल के सुत कागा पाले, हित सों नेह लगाए, वे कारे नहीं भए आपने, अपने कुल को धाए ॥2॥ ऊधो मैंने सब कारे आजमाए। कारे नाग पिटारिन पाले, हित सों दूध पिलाए, वे कारे नहीं भए आपने, दाँव पड़े डस खाए ॥3॥ ऊधो मैंने सब कारे आजमाए। कारे भ्रमर नेह सों राखे, न्योत पराग चखाए, वे कारे नहीं भए आपने, आन फूल पे धाए॥4॥ ऊधो मैंने सब कारे आजमाए। कारे कान्ह हिया में राखे, निसदिन लगन लगाए, वे कारे नहीं भए आपने, कुब्जा पे भरमाए ॥5॥ ऊधो मैंने सब कारे आजमाए। ------------- हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

Holi Faag Geet : दिगम्बर खेले मसाने में होरी !

खेले मसाने में होरी दिगम्बर खेले मसाने में होरी -२  भूत पिशाच बटोरी भूत पिचाश बटोरी दिगम्बर खेले मसाने में होरी खेले मसाने में होरी दिगम्बर खेले मसाने में होरी लखि सुन्दर फागुनी छटा को -२  मन से रंग गुलाल हटा दो -२  चिता भसम भरि झोरी हो चिता भसम भरि झोरी ! दिगम्बर खेले मसाने में होरी  खेले मसाने में होली दिगम्बर खेले मसाने में होरी  गोप न गोपी श्याम न राधा-२  ना कोई रोक ना कौनौ बाधा | ना साजन ना गोरी # ना साजन ना गोरी दिगम्बर खेले मसाने में होरी खेले मसाने में होरी दिगम्बर खेले मसाने में होरी नाचत गावत डमरूधारी-२  छोड़े सर्प गणन पिचकारी पी के प्रेत ढपोरी हो ! पी के प्रेत ढपोरी दिगम्बर खेले मसाने में होरी खेले मसाने में होली दिगम्बर खेले मसाने में होरी भूतनाथ की मंगल होरी-3 देख सिहाई बिरज की छोरी धन-धन नाथ अघोरी हो ! धन-धन नाथ अघोरी दिगम्बर खेले मसाने में होरी खेले मसाने होरी दिगम्बर खेले मसाने में होरी खेले मसाने में होरी दिगम्बर खेले मसाने में होरी - ५  Subscribe our youtube channel

चौताल : मोरा कौन हरे दुःख पीरा, बिना रघुवीरा,

मोरा कौन हरे दुःख पीरा, बिना रघुवीरा, लगे अषाढ़ उमड़ घन गरजे, सावन गरुण गंभीरा, अरे सावन गरुण गंभीरा, अरे हाँ सावन गरुण गंभीरा, उड़े गुलाल लाल भये बादर, सावन गरुण गंभीरा, अरे सावन गरुण गंभीरा , अरे हाँ सावन गरुण गंभीरा, भादवं बिजुरी तड़ा-तड़ तडके वै तो भरी आये चहुँ दिशि नीरा, बिना रघुवीरा, मोरा कौन हरे दुःख पीरा, बिना रघुवीरा, लगे कुआर उमड़ भये बरखा, कार्तिक निर्मल नीरा, अगहन ओस सतावन लागे, मोरा थर-थर काँपे शरीरा, बिना रघुवीरा, मोरा कौन हरे दुःख पीरा, बिना रघुवीरा, अरे पूस मास जड़ा जोर होत है,माघे मकर महीना, फागुन फगुआ चैत संग खेलें, वै तो केहि पर फेंके अबीरा, बिना रघुवीरा, मोरा कौन हरे दुःख पीरा,बिना रघुवीरा, चैत मास बन केशव फूलै, बैशाखे बन बेला, गोरे-गोरे बहिया आवार दार कंगना, बैशाखे बन बेला, छींटूदास जेठ कब लागिहै, वै तो आये मिले रघुवीरा, हरे दुःख पीरा  ----------------------- देहाती होली गीत लिरिक्स के लिए हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें