फाग लोकगीत | जो तन होरी सो बर जानें | चौकड़िया जो तन होरी सो बर जानें ।। कितनऊ करो बहाने रिश्ते सब स्वारथ के प्यारे कोनऊ काम ना आनें जो तन होरी सो बर जानें ।। ईसुर जो तन दओ आपसों केवल भजन के लानें जो तन होरी सो बर जानें ।। केवल रह जेह नाव तुम्हारों कैसे हते फलानें जो तन होरी सो बर जानें ।। हरी नाम सुमार ले आये आख़री कामे जो तन होरी सो बर जानें ।।
भदावर के लोकगीतों में चंबल की माटी की सौंधी-सौंधी गंध महकती है। जन मानस ने इन गीतों को गाते-गाते विविध रूप प्रदान किए हैं। लाखों कंठों ने गा-गा कर और लाखों लोगों ने मुग्ध होकर सुन-सुन कर इन गीतों को परम शक्तिशाली और हृदयस्पर्शी बना दिया है। लोकगीतों में धरती गाती है, पर्वत गाते हैं, नदियां गाती हैं, फसलें गाती हैं होली के भजन लिरिक्स, होली के रसिया लिरिक्स, होली गीत लिरिक्स इन हिंदी, होली लोक गीत इन हिंदी लिरिक्स, होली गीत लिरिक्स, लिरिक्स होली के भजन, लिरिक्स होली भजन, होली भजन डायरी,